वैदिक युग


 

ऋग्वेद में आर्यों के निवास स्थल के लिए “सप्त सैंधवतः” शब्द का उल्लेख किया गया है।सप्त सैंधव प्रदेश  में 7 नदीयों का संगम था ।जहाँ आर्य सबसे पहले आकर बसे थे।
 
आर्यों का जीवन प्रारंभ में अस्थायी था। क्योंकि ये लोग कबीले से संबंधित थे,पशुचारण इनका मुख्य पेशा था। कृषि द्वितीयक या गौण पेशा था। इसे हीन कर्म माना जाता था।भूमि को आर्य अपनी संपत्ति नहीं मानते थे, पशुओं को वे अपनी संपत्ति मानते थे। 

प्रशासन की सबसे छोटी इकाई कुल/परिवार थी।कुल / परिवार  का मुखिया कुलप /कुलपति कहलाता था। बहुत सारे परिवार मिलकर ग्राम बनता था ग्राम का मुखिया ग्रामणी कहलाता था। ऋग्वेद में ग्रामणी शब्द का 30 बार उल्लेख हुआ है। कई ग्राम मिलकर विश बनाते थे तथा विश का मुखिया विशपति कहलाता था। जन जिसे कबीला भी कहा जाता था का मुखिया जनस्य गोपा (राजा) होता था , जनस्य गोपा का ऋग्वेद में 275 बार उल्लेख हुआ है।  राजा का पद युद्ध की आवश्यकता के अनुकूल होता था। उसका कोई धार्मिक कार्य /अधिकार नहीं होता था।राजा कबीले का

 

                                    ऋग्वैदिक काल की जानकारी के स्रोत – 

                                            1        पुरातात्विक स्रोत

                                            2        साहित्यिक स्रोत

 


पुरातात्विक स्रोत-

  1. भगवानपुरा से 13 कमरों के एक मकान का अवशेष मिला है।
  2. पंजाब के कुछ स्थलों – नागर, कटपालन, दधेरी से भी वैदिक काल के अवशेष मिले हैं।
  3. बोगजकोई अभिलेख(1400ई.पू.)/ मितनी अभिलेख -यह अभिलेख सीरिया से प्राप्त हुआ है। इस अभिलेख में हित्ती राजा सुब्बिलिम्मा और मितन्नी राजा मतिऊअजा के बीच एक संधि में 4 वैदिक देवताओं को साक्षी माना गया है- इंद्र, मित्र, वरुण, नासत्य(अश्विन), (इन वैदिक देवताओं का क्रम इसी प्रकार से बोगजकोई अभिलेख पर है।)
  4. कस्सी अभिलेख(1600ई.पू.)- यह अभिलेख ईराक से मिला है। इस अभिलेख में आर्यों की एक शाखा ईरान     आई जबकि एक शाखा भारत की ओर बढी।

 

साहित्यिक स्रोत-    

 


 

        ऋग्वेद- इस काल में ऋग्वेद की ही रचना की गई थी ।  ऋग्वेद संहिता ऋग्वैदिक काल की एकमात्र रचना है। इसमें 10 मंडल  तथा 1028 सूक्त ) है। इसकी रचना 1500 ई,पु. से 1000 ई.पु. के मध्य हुई। इसके कुल 10 मंडलो में से दूसरे से सातवें तक के मंडल सबसे प्राचीन माने जाते है, जबकि प्रथम तथा दसवां मंडल परवर्ती काल के माने गए है। ऋग्वेद के दूसरे से सातवें मंडल को गोत्र मंडल  के नाम से भी जाना जाता है क्योकि इन मंडलो की रचना किसी गोत्र  विशेष से संबंधित एक ही ऋषि  के परिवार ने की थी। ऋग्वेद की अनेक बातें फ़ारसी भाषा के प्राचीनतम ग्रन्थ अवेस्ता  से भी मिलती है। गौरतलब है कि इन दोनों धर्म में ग्रंथो में बहुत से देवी-देवताओ और सामजिक वर्गो के नाम भी मिलते-जुलते है। यह सबसे प्राचीन वेद है। इसमें अग्नि, इन्द्र, मित्र, वरुण आदि देवताओं की स्तुतियाँ संग्रहित है।

सामवेद : ऋग्वैदिक श्लोकों को गाने के लिए चुनकर घुनों में बांटा गया और इसी पुनर्विन्यस्त संकलन का नाम 'सामवेद' पड़ा। इसमें दी गई ऋचाएँ उपासना एवं धार्मिक अनुष्ठानो के अवसर पर स्पष्ट तथा लयबद्ध रूप से गाई जाती थी।

यजुर्वेद : इसमें ऋचाओं के साथ- साथ गाते समय किये जाने वाले अनुष्ठानो का भी पघ एवं गघ दोनों में वर्णन है। यह वेद यज्ञ-संबंधी अनुष्ठानों पर प्रकाश डालता है।

अथर्ववेद : यह वेद जन सामान्य की सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियो  को जानने के लिए इस काल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें लोक परंपराओं , धार्मिक विचार, विपत्तियों और व्याधियों के निवारण संबंधी तंत्र- मंत्र संग्रहित है।

वेदत्रयी : ऋग्वेद, यजुर्वेद एवं सामवेद

संहिता : चारों वेदों का सम्मिलित रूप

उपनिषद : 108 (प्रमाणित 12)

वेदांग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, (भाषा विगत), छंद और ज्योतिष

 

                               ऋग्वैदिक काल की विशेषताएं-


                                        भौगोलिक क्षेत्र
                                        राजनितिक व्यवस्था
                                        सामाजिक व्यवस्था
ऋग्वेद में आर्यों के निवास स्थल के लिए “सप्त सैंधवतः” शब्द का उल्लेख किया गया है।सप्त सैंधव प्रदेश  में 7 नदीयों का संगम था ।जहाँ आर्य सबसे पहले आकर बसे थे।
 
आर्यों का जीवन प्रारंभ में अस्थायी था। क्योंकि ये लोग कबीले से संबंधित थे,पशुचारण इनका मुख्य पेशा था। कृषि द्वितीयक या गौण पेशा था। इसे हीन कर्म माना जाता था।भूमि को आर्य अपनी संपत्ति नहीं मानते थे, पशुओं को वे अपनी संपत्ति मानते थे। 

प्रशासन की सबसे छोटी इकाई कुल/परिवार थी।कुल / परिवार  का मुखिया कुलप /कुलपति कहलाता था। बहुत सारे परिवार मिलकर ग्राम बनता था ग्राम का मुखिया ग्रामणी कहलाता था। ऋग्वेद में ग्रामणी शब्द का 30 बार उल्लेख हुआ है। कई ग्राम मिलकर विश बनाते थे तथा विश का मुखिया विशपति कहलाता था। जन जिसे कबीला भी कहा जाता था का मुखिया जनस्य गोपा (राजा) होता था , जनस्य गोपा का ऋग्वेद में 275 बार उल्लेख हुआ है।  राजा का पद युद्ध की आवश्यकता के अनुकूल होता था। उसका कोई धार्मिक कार्य /अधिकार नहीं होता था।राजा कबीले का
 
सात नदीयों के नाम इस  प्रकार हैं-  सिंधु, सरस्वती, वितस्ता(झेलम), अस्किनी(चिनाब)(चंद्रभागा), परुष्णी(इरावदी/रावी), शतुद्री(सतलज), विपासा(व्यास)। 
 
ब्रह्मर्षि देश- गंगा -यमुना का दोआब । 
 

भरत जन सरस्वती तथा यमुना नदी के बीच के क्षेत्र में निवास करता था।

ऋग्वेद में समुद्रों की जानकारी नहीं है। लेकिन फिर भी कुछ शब्द -परावत(वृहद जलराशी) जैसे शब्दों से पता लगाया जा सकता है कि समुद्र भी थे। विंध्य पर्वत तथा सतपुङा की जानकारी नहीं है। ऋग्वेद में केवल एक ही क्षेत्र का उल्लेख है और वह क्षेत्र है-गांधार -यह भेङ की उत्तम ऊन के लिए प्रसिद्ध है। ऋग्वैदिक आर्य कई पर्वतों के नामों से भी जानकार थे-हिमनंत (हिमालय), मूजवंत (हिन्दुकुश)- यहां से सोम नामक पौधे की प्राप्ति हुईथी।,आर्जीक,  सुषोम, शर्मनावत, शिलामंत। ऋग्वेद में 42 नदीयों का उल्लेख किया गया है , लेकिन 19 नदीयों के ही नाम मिलते हैं।

 


 

सरस्वती नदी- सरस्वती नदी सबसे पवित्र नदी मानी गई है। इसके तट पर वैदिक मंत्रों की रचना की गई थी। इसे नदियों में अग्रवर्ती,नदीयों की माता, वाणी,बुद्धि तथा संगीत की देवी कहा गया है। इस नदी को नदीत्तमा भी कहा जाता है। यह नदी ऐसी अदभुत नदी है जो एक स्थान पर दिखती है, तो दूसरे स्थान पर अदृश्य हो जाती है।

सिंधु नदी- ऋग्वेद की दूसरी प्रमुख नदी थी। इसके अन्य नाम भी हैं जैसे-सुषोमा(सुषोम पर्वत से निकलती है), हिरण्ययनी(इस नदी व्यापारिक गतिविधियाँ होती थी।),ऊर्णावती (इसके माध्यम से ऊन का व्यापार होता था।)

  • सिंधु नदी की 4 सहायक नदीयाँ हैं जो सिंधु नदी में पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा में मिलती हैं-
  1. क्रुमु(कुर्रम)
  2. कुभा(काबुल)
  3. गोमती(गोमल)
  4. सुवास्तु(स्वात)
  • सिंधु नदी की 5 सहायक नदीयाँ जो सिंधु नदी में  पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा में मिलती हैं-
  1. वितस्ता(झेलम)
  2. अस्किनी(चिनाब)(चंद्रभागा)
  3. परुष्णी(इरावदी/रावी)-पुरुष्णी नदी के किनारे दशराज युद्ध हुआ था।
  4. शतुद्री(सतलज)
  5. विपासा(व्यास) – विपासा नदी के किनारे इंद्र ने उषा देवी के रथ को चकनाचूर किया था।
 
 

2. राजनितिक व्यवस्था-

भारत में आर्य अलग-अलग कबीलों (जन) के रूप में आये थे। आर्य कोई जाति या नस्ल नहीं, बल्कि भाषाई/सांस्कृतिक समूह थे। भारत में आने पर इनका 2 तरह से संघर्ष हुआ।

  1. आर्य-अनार्य संघर्ष(दशराज युद्ध)
  2. आर्य-आर्य संघर्ष(दास राज युद्ध)

भरत कबीला त्रित्सु से संबंधित था। पंचजन(यदु,अनु,पुरु,द्रुहु,तुर्वस)।

 बलिः दैनिक उपभोग की वस्तुयें , दूध,दही,फल,फूल,अनाज,दालें,ऊन आदि पर दिया जाने वाला कर।

3.सामाजिक व्यवस्था-

ऋग्वैदिक कालीन समाज कबीलाई समाज था।समाज पुरुष प्रधान था। (पितृसत्तात्मक)पशुपालन पर आधारित अस्थाई समाज था। पुरुष प्रधान समाज होने के कारण पशुपालन तथा युद्ध की आवश्यकता के अनुकूल समाज था। महिलाओं की स्थिती भी अच्छी थी। समाज में बाल विवाह, सतीप्रथा, विधवा व्यवस्था, प्रदापर्था, जौहर प्रथा, आदि  कुरीतियों का प्रचलन नहीं था।

समाज में विधवा विवाह, अंतरजातीय विवाह, स्वंयवर प्रथा, उपनयन संस्कार आदि का प्रचलन महिलाओं की बेहतर स्थिति को दर्शाता है। नियोग प्रथा तथा पुरुषों में बहुविवाह का प्रचलन था। 

ऋग्वेद

  गण का उल्लेख ऋग्वेद में 46 बार मिलता है।
  जनस्य गोपा का ऋग्वेद में 275 बार उल्लेख हुआ है।
  ऋग्वेद में ग्रामणी शब्द का 30 बार उल्लेख हुआ है।
   पहली बार10 वें मंडल के पुरुष सूक्त में चारों वर्णों का नाम मिलता है। वैश्य तथा शूद्र दोनों का नाम ऋग्वेद में       मिलता है।
  इस काल में वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित थी। लचीलापन था। जैसे -विश्वामित्र पहले क्षत्रिय थे जो बाद में पुरोहित बन गये। समाज में आर्यों के 3वर्ण बने तथा ऋग्वैदिक काल में समाज कर्म पर आधारित हो गया था।  
                                        

                           IMPORTANT QUESTIONS

 
 
(1) पूर्व वैदिक या रिग्वेदिक संस्कृति का काल किसे मन जाता है ?– 1500 ई.पू.-1000 ई.पू.

 (2) वैदिक युग को दो भागों में बांटा गया है- 1.ऋग्वैदिक काल     2.उत्तरवैदिक काल 

 (3) उत्तर वैदिक संस्कृति का काल किसे माना जाता है ? – 1000 ई.पू.-600 ई.पू

 (4)किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सुचना दी गयी है ? – ऋगवेद
 (5) पूर्व वैदिक या रिग्वेदिक संस्कृति का काल किसे मन जाता है ?– 1500 ई.पू.-1000 ई.पू.

 (6) वैदिक युग को दो भागों में बांटा गया है- 1.ऋग्वैदिक काल     2.उत्तरवैदिक काल 

 (7) उत्तर वैदिक संस्कृति का काल किसे माना जाता है ? – 1000 ई.पू.-600 ई.पू

 (8)किस वेद में प्राचीन वैदिक युग की संस्कृति के बारे में सुचना दी गयी है ? – ऋगवेद

 (6) मैक्समूलर के अनुसार आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था। आर्यों द्वारा स्थापित सभ्यता वैदिक सभ्यता थी तथा इस सभ्यता को ग्रामीण संस्कृति भी कहा गया है

 (7)आर्यों के आर्कटिक होम सिद्धांत का पक्ष किसने लिया था ?– बी.जी तिलक 
 
  1.  वैदिक धर्म का मुख्य लक्षण इनमे से किसकी उपासना थी ?– प्रकृति
  2.   किस देवता के लिए ऋग्वेद में पुरंदर शब्द का प्रयोग हुआ है ?– इंद्र
  3. ” शुल्व शुत्र ” किस विषय से सम्बंधित पुस्तक  है ?– ज्यामिति
  4. असतो मा सदगमय , तमसो मा ज्योतिर्गमय , मर्त्योर्मा अमृतं गमय कहाँ से लिया गया ?– उपनिषद
  5. वेदों को अपौरुशेय क्यों कहा गया है ?– क्योकि वेदों की रचना देवताओ द्वारा की गयी है
  6. वेशेशिक दर्शन के प्रतिपादक है –– उलूक कणद
  7. मीमांसा या पूर्व -मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक है –– जैमिनी
  8. वेदांत या उत्तर-मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक हैं –– बादरायण
  9. ऋग्वेद का कौन सा मंडल पुर्णतः सोम को समर्पित है ?– नौवा मंडल
  10. प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध – दाशराज युद्ध -किस नदी के तट पर लड़ा गया ?– परुशन
  11. धर्मशास्त्रों में भू राजस्व की दर क्या है ?– 1/6

         

 

  1. 800 ई. पूर्व से 600 ई.पूर्व का काल किस युग से जुडा है ?– ब्राहमण युग
  2. किस काल से अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुई ?– धर्मशास्त्र काल में
  3.  वैदिक धर्म का मुख्य लक्षण इनमे से किसकी उपासना थी ?– प्रकृति
  4.   किस देवता के लिए ऋग्वेद में पुरंदर शब्द का प्रयोग हुआ है ?– इंद्र
  5. ” शुल्व शुत्र ” किस विषय से सम्बंधित पुस्तक  है ?– ज्यामिति
  6. असतो मा सदगमय , तमसो मा ज्योतिर्गमय , मर्त्योर्मा अमृतं गमय कहाँ से लिया गया ?– उपनिषद
  7. वेदों को अपौरुशेय क्यों कहा गया है ?– क्योकि वेदों की रचना देवताओ द्वारा की गयी है
  8. वेशेशिक दर्शन के प्रतिपादक है –– उलूक कणद
  9. मीमांसा या पूर्व -मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक है –– जैमिनी
  10. वेदांत या उत्तर-मीमांसा दर्शन के प्रतिपादक हैं –– बादरायण

 

 



  1. ऋग्वेद का कौन सा मंडल पुर्णतः सोम को समर्पित है ?– नौवा मंडल
  2. प्रसिद्ध दस राजाओं का युद्ध – दाशराज युद्ध -किस नदी के तट पर लड़ा गया ?– परुशनी
  3. धर्मशास्त्रों में भू राजस्व की दर क्या है ?– 1/6
  4. 800 ई. पूर्व से 600 ई.पूर्व का काल किस युग से जुडा है ?– ब्राहमण युग
  5. किस काल से अछूत की अवधारणा स्पष्ट रूप से उदित हुई ?– धर्मशास्त्र काल में
  6. यज्ञ सम्बन्धी विधि विधानों का पता चलता है ?– यजुर्वेद से
  7. वैदिक युगीन सभा –– मंत्री परिषद थी
  8. वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी-– गणतंत्र
  9. निम्न में से कौन भारतीय दर्शन की आरंभिक विचारधारा है ?– सांख्य
  10. ऋग्वेद के किन छह मंडलों को वंश मंडल/ गोत्र मंडल कहा जाता है ?– दुसरे मंडल से सातवे मंडल तक

                    

  1. कौन सा वेद अंशतः गध रूप में भी रचित है ?– यजुर्वेद
  2. ऋग्वेदिकयुग की प्राचीनतम संस्था कौन सी थी ?– विदथ
  3. ब्राहमण ग्रंथो में सर्वाधिक प्राचीन कौन है ?– शतपथ ब्राह्मण
  4. अनुलोम विवाह का क्या अर्थ है ?– उच्च वर्ण पुरुष का निम्न वर्ण स्त्री के साथ विवाह
  5. प्रतिलोम विवाह कब माना जाता है –– जब उच्च वर्ण की नारी निम्न वर्ण के पुरुष के साथ विवाह कर लेता है
  6. वैदिक युग में यव कहा जाता था ?– जो
  7. अथर्व का अर्थ है – पवित्र जादू
  8. प्राचीनतम व्याकरण ” अष्ठाध्यायी ” के रचनाकार हैं – पाणिनि
  9. निम्न में से कौन सी स्मृति प्राचीनतम है –– मनु स्मृति
  10. गायत्री मन्त्र ( देवी सवितरु को संबोधित ) किस पुस्तक में मिलता है ?– ऋग्वेद

 

                                        

 

  1. न्यायदर्शन को प्रचारित किया था ?– गौतम ने
  2. योग दर्शन के प्रतिपादक हैं –– पतंजलि
  3. उपनिषद पुस्तकें हैं –– दर्शन पर
  4. उपनिषद काल के राजा  अश्वपति शासक थे ?– केकय के
  5. वैदिक नदी कुभा ( काबुल ) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए  –– अफगानिस्तान में
  6. कपिल मुनि द्वारा प्रतिपादित दार्शनिक प्रणाली है –– सांख्य दर्शन
  7. भारत के किस स्थान की खुदाई से लौह धातु के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं ?– अतरंजीखेडा
  8. निम्न में से किसका संकलन ऋग्वेद पर आधारित है ?– सामवेद
  9. कर्म का सिद्धांत सम्बंधित है ?–  मीमांसा से
  10. चरक संहिता नामक पुस्तक किस विषय से सम्बंधित है ?– चिकित्सा

 

                         


  1. यज्ञ सम्बन्धी विधि विधानों का पता चलता है ?– यजुर्वेद से
  2. वैदिक युगीन सभा –– मंत्री परिषद थी
  3. वैदिक युग में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी-– गणतंत्र
  4. निम्न में से कौन भारतीय दर्शन की आरंभिक विचारधारा है ?– सांख्य
  5. ऋग्वेद के किन छह मंडलों को वंश मंडल/ गोत्र मंडल कहा जाता है ?– दुसरे मंडल से सातवे मंडल तक
  6. कौन सा वेद अंशतः गध रूप में भी रचित है ?– यजुर्वेद
  7. ऋग्वेदिकयुग की प्राचीनतम संस्था कौन सी थी ?– विदथ
  8. ब्राहमण ग्रंथो में सर्वाधिक प्राचीन कौन है ?– शतपथ ब्राह्मण
  9. अनुलोम विवाह का क्या अर्थ है ?– उच्च वर्ण पुरुष का निम्न वर्ण स्त्री के साथ विवाह
  10. प्रतिलोम विवाह कब माना जाता है –– जब उच्च वर्ण की नारी निम्न वर्ण के पुरुष के साथ विवाह कर लेता है

 

 


 

  1. वैदिक युग में यव कहा जाता था ?– जो
  2. अथर्व का अर्थ है – पवित्र जादू
  3. प्राचीनतम व्याकरण ” अष्ठाध्यायी ” के रचनाकार हैं – पाणिनि
  4. निम्न में से कौन सी स्मृति प्राचीनतम है –– मनु स्मृति
  5. ” आदि काव्य ” की संज्ञा किसे दी जाती है ?– रामायण
  6. प्राचीनतम पुराण है ?– मतस्य पुराण
  7. ऋग्वेद में सबसे पवित्र नदी किसे माना गया है ?– सरस्वती
  8. ऋग्वेदिक काल के उस उस सबसे प्रधान देवता की पहचान करें , जिसकी स्तुति में 250 सूक्तो की रचना की गयी थी ?–  इंद्र
  9. किस रचना में नारी को सूरा और पांसा के साथ तीन प्रमुख बुराइयों में शामिल किया गया है ?– मैत्रायिनी संहिता
  10. संस्कारों की कुल संख्या कितनी है ?-16
  11. गायत्री मन्त्र की रचना किसने की थी ?– विश्वामित्र
  12.  अवेस्ता किस क्षेत्र से सम्बंधित है ?– भारत से
  13. आर्यों के आर्कटिक होम सिद्धांत का पक्ष किसने लिया था ?– बी.जी तिलक
  14. ऋग्वेद में …………….सूक्त हैं ? – 1028
  15. निम्न में से किसे भारतीय परमाणुवाद का जनक कहा जाता है ?– कणाद