हड़प्पा सभ्यता का सर्वाधिक मान्यता प्राप्त काल है – 2500 ई.पू. से 1750 ई.पू.
सिन्धु घाटी की सभ्यता में ह्नघोड़े के अवशेष कहाँ मिले हैं – सुरकोटदा में
सिन्धु घाटी स्थल कालीबंगा किस प्रदेश में है – राजस्थान में
किस पदार्थ का उपयोग हड़प्पा काल की मुद्राओं के निर्माण में मुख्य रूप से किया गया था – सेलखड़ी (Steatite)
हड़प्पा घाटी सभ्यता किस युग की थी – कांस्य युग
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था – व्यापार
हड़प्पा सभ्यता के निवासी थे – शहरी
सिन्धु घाटी सभ्यता के घर किससे बनाए जाते थे – ईंट से
हड़प्पावासी किस वस्तु के उत्पादन में सर्वप्रथम थे – कपास
हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता कौन था – दयाराम साहनी
सिन्धु घाटी सभ्यता का पत्तननगर (बंदरगाह) कौन सा था – लोथल
पैमानों की खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि सिन्धु घाटी के लोग माप और तौल से परिचित थे। यह खोज कहाँ पर हुई – लोथल
मोहन जोदड़ो को किस अन्य नाम से भी जाना जाता है – मृतकों का टीला
हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम है – सिन्धु घाटी की सभ्यता
कपास का उत्पादन सर्वप्रथम सिन्धु क्षेत्र में हुआ, जिसे ग्रीक या यूनान के लोगों ने किस नाम से पुकारा – सिन्डन
सिंधु घाटी नगर नियोजन
सिंधु घाटी सम्भ्यता जानी जाती है – अपने नगर नियोजन के लिए
भारत में खोजा गया सबसे पहला पुराना शहर था – हड़प्पा
भारत में चाँदी की उपलब्धता के प्राचीनतम साक्ष्य मिलते हैं – हड़प्पा संस्कृति में
हड़प्पा में एक उन्नत जल-प्रबंधन प्रणाली का पता चलता है – धौलावीरा में
हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष हुई थी – 1921 में
हड़प्पा के मिट्टी के बर्तन
हड़प्पा के मिट्टी के बर्तनों पर सामान्यत: किस रंग का उपयोग हुआ था – लाल
सिन्धु घाटी सभ्यता की विकसित अवस्था में किस स्थल से घरों में कुँओं के अवशेष मिले है – मोहनजोदड़ों
सिन्धु घाटी सभ्यता को खोज निकालने में जिन दो भारतीयों का नाम जुड़ा है, वे हैं – दयाराम साहनी एवं राखालदास बनर्जी
रंगपुर जहाँ हड़प्पा की समकालीन सभ्यता थी, है – सौराष्ट्र में
हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी थे – सर जॉन मार्शल
मोहनजोदडो में मिली कूबड वाले बैल की मोहर
किस पशु की आकृति जो मुहर पर मिली है, जिससे ज्ञात होता है कि सिन्धु
घाटी एवं मेसोपोटामिया की सभ्यताओं के मध्य व्यापारिक सम्बन्ध थे –
बैल
हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति कैसी थी – उचित समतावादी
हड़प्पा सभ्यता के अन्तर्गत हल से जोते गये खेत का साक्ष्य कहाँ से मिला है – कालीबंगा
सैंधव सभ्यता की ईटों का अलंकरण किस स्थान से मिला है – कालीबंगा
मोहनजोदड़ों कहाँ स्थित है – सिन्ध
सिन्धु सभ्यता में वृहत् स्नानागार पाया जाता है – मोहनजोदड़ो में
हड़प्पाकालीन स्थलों में अभी तक किस धातु की प्राप्ति नहीं हुई है – लोहा
किस पशु के अवशेष सिन्धु घाटी सभ्यता में प्राप्त नहीं हुए हैं – गाय
स्वातंत्र्योत्तर भारत में सबसे अधिक संख्या में हड़प्पायुगीन स्थलों की खोज किस प्रान्त में हुई है – गुजरात
मोहनजोदड़ो नृत्य मुद्रा वाली स्त्री
किस हड़प्पाकालीन स्थल से ‘नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्ति’ प्राप्त हुई है – मोहनजोदड़ो से
हड़प्पावासी किस धातु से परिचित नहीं थे – लोहा
किस हड़प्पाकालीन स्थल से युगल शवाधान का साक्ष्य मिला है – लोथल
इस सभ्यता का काल 2350 से 1750 ई.पू. निर्धारित किया गया है।
स्वास्तिक चिन्ह संभवतः हड़प्पा सभ्यता की ही देन है।
इस सभ्यता में किसी भी प्रकार के मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।
सभ्यता के लोग तलवार से परिचित नहीं थे
हड़प्पा सभ्यता की लिपि
सभ्यता की लिपि में 64 मूल चिन्ह व 205-400 अक्षर हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता काँस्ययुगीन सभ्यता थी।
यह सभ्यता उत्तर में माण्डा ( जम्मू कश्मीर ) से लेकर दक्षिण में
दायमाबाद ( महाराष्ट्र ) तथा पूर्व में आलमगीरपुर ( मेरठ, उत्तर प्रदेश )
से लेकर पश्चिम में सुत्कांगेडोर ( अफगानिस्तान ) तक फैली हुई है।
इसकी आकृति त्रिभुजाकार है।
हड़प्पा सभ्यता से सम्बन्धित विभिन्न स्थल : भारत के विभिन्न राज्यों
में स्थल – जम्मू कश्मीर में माण्डा, हरियाणा में राखीगढ़ी, बनावली, कुणाल,
भिर्दाना, मीताथल, पंजाब में रोपड़, बाड़ा, संघोंल, राजस्थान में कालीबंगा
(शाब्दिक अर्थ – काले रंग की चूड़ियाँ), उत्तर प्रदेश में आलमगीरपुर, रावण
उर्फ़ बड़ागाँव, अम्बखेड़ी, गुजरात में लोथल, सुरकोटदा, रंगपुर, धौलावीरा,
भगतराव, प्रभाषपाटन, महाराष्ट्र में दैमाबाद, अफगानिस्तान में
सुत्कांगेडोर, शोर्तुगोयी, मुन्दिगाक, पाकिस्तान में हड़प्पा, मोहेंजोदड़ो
(शाब्दिक अर्थ – मृतकों / प्रेतों का टीला) ।
डॉकयार्डलोथल
लोथल से सबसे बड़ी जहाजों की गोदी (डॉक-यार्ड) के साक्ष्य मिले हैं।
हड़प्पन लिपि भावचित्रात्मक लिपि है। यह लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती है।
मोहनजोदड़ो के धान्य कोठार इस सभ्यता की सबसे बड़ी संरचना हैं।
भोगवा नदी के तट पर स्थित लोथल में इस सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह स्थित था।
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