हर्यक वंश
हर्यक वंश- (544 ई. पू. से 412 ई. पू. तक) की स्थापना बिम्बिसार (544 ई. पू. से 493 ई. पू.) ने की थी। इसके साथ ही राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ था। बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। उसने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनाया था। नागदशक 'हर्यक वंश' का अंतिम शासक था। उसके अमात्य शिशुनाग ने 412 ई. पू. में नागदशक की निर्बलता से लाभ उठाकर गद्दी पर अधिकार कर लिया और 'शिशुनाग वंश' की स्थापना की।
हर्यक वंशी शासक-
- बिम्बिसार (544 ई. पू. से 493 ई. पू.)
- अजातशत्रु (493 ई.पू. से 461 ई.पू.)
- उदायिन (461 ई.पू. से 445 ई.पू.)
- अनिरुद्ध
- मंडक
- नागदशक
बिम्बिसार(544 ई. पू. से 492 ई. पू.)-
हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार का उपनाम 'श्रेणिक' था। हर्यक वंश के लोग नागवंश की ही एक उपशाखा थे। बिम्बिसार ने कौशल एवं वैशाली के राज परिवारों से वैवाहिक सम्बन्ध क़ायम किया।उसने अवंति के शक्तिशाली राजा चन्द्र प्रद्योत के साथ दोस्ताना सम्बन्ध बनाया। सिन्ध के शासक रूद्रायन तथा गांधार के मुक्कु रगति से भी उसका दोस्ताना सम्बन्ध था। उसने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य में मिला लिया था बिम्बिसार महात्मा बुद्धका मित्र और संरक्षक था। विनयपिटक के अनुसार बुद्ध से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया, लेकिन जैन और ब्राह्मण धर्म के प्रति उसकी सहिष्णुता थी।।उसकी पहली पत्नी 'महाकोशला' प्रसेनजित की बहन थी, जिससे उसे काशी नगर का राजस्व प्राप्त हुआ। उसकी दूसरी पत्नी 'चेल्लना' वैशाली के लिच्छवी प्रमुख चेतक की बहन थी। इसके पश्चात् उसने मद्र देश की राजकुमारी 'क्षेमा' के साथ अपना विवाह कर मद्रों का सहयोग और समर्थन प्राप्त किया। 'महाबग्ग' में सम्राट बिम्बिसार की 500 पत्नियों का उल्लेख है। कुशल प्रशासन की आवश्यकता पर सर्वप्रथम बिम्बिसार ने ही ज़ोर दिया था। बौद्ध साहित्य में उसके कुछ पदाधिकारियों के नाम मिलते हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
मत्स्य पुराण में बिंबिसार को क्षेत्रोजस तथा जैन साहित्य में श्रोणिक (श्रेणीक या सैनिय) कहा जाता है। गांधार के राजा पुष्करसारी बिंबिसार के मित्र थे। उसने बिम्बिसार के दरबार में दूत भेजा। मगध की प्रारंभिक राजधानी गिरिव्रज थी। इसकी स्थापना वसु ने की थी। इसे कुशाग्रपुर भी कहते हैं। लेकिन लिच्छवियों की बढ़ती शक्ति के कारण बिंबिसार ने उत्तर की ओर राजगृह में अपनी नई राजधानी बनाई।
- जीवक:- बिंबिसार का राजवैध।
- महा गोविंद:- बिंबिसार का वास्तुकार।
- सब्बन्थक महामात्त (सर्वमहापात्र) - यह सामान्य प्रशासन का प्रमुख पदाधिकारी होता था।
- बोहारिक महामात्त (व्यावहारिक महामात्र) - यह प्रधान न्यायिक अधिकारी अथवा न्यायाधीश होता था।
- सेनानायक महामात्त - यह सेना का प्रधान अधिकारी होता था।
बिम्बिसार स्वयं शासन की समस्याओं में रुचि लेता था। 'महाबग्ग जातक' में कहा गया है कि उसकी राजसभा में 80 हज़ार ग्रामों के प्रतिनिधि भाग लेते थे। वह जैन तथा ब्राह्मण धर्म के प्रति भी सहिष्णु था। जैन ग्रन्थ उसे अपने मत का पोषक मानते हैं। 'दीर्धनिकाय' से पता चलता है कि बिम्बिसार ने चम्पा के प्रसिद्ध ब्राह्मण सोनदण्ड को वहाँ की पूरी आमदनी दान में दे दी थी। बिम्बिसार महात्मा बुद्ध का मित्र एवं संरक्षक था। राजगृह नामक नवीन नगर की स्थापना बिम्बिसार ने करवाई थी। उसका अवन्ति से अच्छा सम्बन्ध था, क्योंकि जब अवन्ति के राजा प्रद्योत बीमार थे, तो बिम्बिसार ने अपने वैद्य जीवक को उसके पास भेजा था। बिम्बिसार ने अंग और चम्पा को जीता और वहाँ पर अपने पुत्र अजातशत्रु को उपराजा नियुक्त किया था। बिम्बिसार ने करीब 52 वर्षों तक शासन किया। बौद्ध और जैन ग्रन्थानुसार उसके पुत्र अजातशत्रु ने उसे बन्दी बनाकर कारागार में डाल दिया था जहाँ उसका 493ई. पू. में निधन हो गया।
विशेष
- बिम्बिसार ने अपने बड़े पुत्र “दर्शक" को उत्तराधिकारी घोषित किया था।
- भारतीय इतिहास में बिम्बिसार प्रथम शासक था जिसने स्थायी सेना रखी।
- बिम्बिसार ने राजवैद्य जीवक को भगवान बुद्ध की सेवा में नियुक्त. किया था।
- बौद्ध भिक्षुओं को निःशुल्क जल यात्रा की अनुमति दी थी।
- बिम्बिसार की हत्या महात्मा बुद्ध के विरोधी देवव्रत के उकसाने पर अजातशत्रु ने की थी।
- बिम्बसार ने बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर वेलुबन दान में दिया जिसके वर्णन विनयपिटक से मिलता है
आम्रपाली-
यह वैशाली की नर्तकी एवं परम रूपवती कला प्रवीण गणिका थी। वो बुद्ध की परम उपासक थी । आम्रपाली के सौन्दर्य पर मोहित होकर बिम्बिसार ने लिच्छवि से जीतकर राजगृह में ले आया। उनसे विवाह किया । दोनों के संयोग से जीवक नामक पुत्ररत्न. हुआ। बिम्बिसार ने जीवक को तक्षशिला में शिक्षा हेतु भेजा। यही जीवक एक प्रख्यात चिकित्सक एवं राजवैद्य बना। जिन्होंने आगे चलकर भगवान बु्द्ध की सेवा की थी ।
अजातशत्रु(493-461 ई. पू.)-
बिम्बिसार के बाद अजातशत्रु मगध के सिंहासन पर बैठा। इसके बचपन का नाम कुणिक था। वह जैन धर्म का अनुयायी था। भगवान बुद्ध के विरोधी देवदत्त के उकसाने पर इन्होने अपने पिता की हत्या कर गद्दी पर बैठा। अजातशत्रु ने अपने पिता के साम्राज्य विस्तार की नीति को चरमोत्कर्ष तक पहुँचाया। उसने लगभग 32 साल तक शासन किया। अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र उदायिन ने 461 ई. पू. में कर दी।
चेटक ने 18 राज्यों को एकत्र कर अज्ञात शत्रु के विरुद्ध एक सम्मिलित मोर्चा बनाया।
- वस्सकार:- अज्ञात शत्रु का महामंत्री।
- महाशिलाकंटक व रथमुसल:- शिला प्रक्षेपास्त्र व आधुनिक टैंक ।
- अज्ञात शत्रु के शासनकाल के 8 वें वर्ष में बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ।
- भरहुत स्तूप:- अज्ञात शत्रु को बोद्ध बताते हैं
शासन-
अजातशत्रु के सिंहासन मिलने के बाद वह अनेक राज्य संघर्ष एवं कठिनाइयों से घिर गया लेकिन अपने बाहुबल और बुद्धिमानी से सभी पर विजय प्राप्त की। महत्वाकांक्षी अजातशत्रु ने अपने पिता को कारागार में डालकर कठोर यातनाएँ दीं जिससे पिता की मृत्यु हो गई। इससे दुखित होकर कौशल रानी की मृत्यु हो गई।
संघर्ष-
कौशल संघर्ष
बिम्बिसार की पत्नी (कौशल) की
मृत्यु से प्रसेनजीत बहुत क्रोधित हुआ और अजातशत्रु के खिलाफ संघर्ष छेड़
दिया। पराजित प्रसेनजीत श्रावस्ती भाग गया लेकिन दूसरे युद्ध-संघर्ष में
अजातशत्रु पराजित हो गया लेकिन प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह
अजातशत्रु से कर काशी को दहेज में दे दिया।
वज्जि संघ संघर्ष-
लिच्छवि राजकुमारी चेलना बिम्बिसार की पत्नी थी जिससे उत्पन्न. दो
पुत्री हल्ल और बेहल्ल को उसने अपना हाथी और रत्नों का एक हार दिया था
जिसे अजातशत्रु ने मनमुटाव के कारण वापस माँगा। इसे चेलना ने अस्वीकार कर
दिया, फलतः अजातशत्रु ने लिच्छवियों के खिलाफ युद्ध घोषित कर दिया। वस्सकार
से लिच्छवियों के बीच फूट डालकर उसे पराजित कर दिया और लिच्छवि अपने राज्य
में मिला लिया।
मल्ल संघर्ष-
अजातशत्रु ने मल्ल संघ पर आक्रमण कर अपने अधिकार में कर लिया। इस प्रकार
पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक बड़े भू-भाग मगध साम्राज्य का अंग बन गया।
अजातशत्रु ने अपने प्रबल प्रतिद्वन्दी अवन्ति राज्य पर आक्रमण करके विजय
प्राप्त की। अजातशत्रु धार्मिक उदार सम्राट था। विभिन्न. ग्रन्थों के आधार
पर वह बौद्ध और जैन दोनों मत के अनुयायी माने जाते हैं लेकिन भरहुत स्तूप
की एक वेदिका के ऊपर अजातशत्रु बुद्ध की वंदना करता हुआ दिखाया गया है।
उसने शासनकाल के आठवें वर्ष में बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद उनके
अवशेषों पर राजगृह में स्तूप का निर्माण करवाया और 483 ई. पू. राजगृह की
सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया। इस संगीति में बौद्ध
भिक्षुओं के सम्बन्धित पिटकों को सुतपिटक और विनयपिटक में विभाजित किया।
सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसने लगभग 32 वर्षों तक शासन किया और 461
ई. पू. में अपने पुत्र उदायिन द्वारा मारा गया था। अजातशत्रु के शासनकाल में
ही महात्मा बुद्ध 487 ई. पू. महापरिनिर्वाण तथा महावीर को भी कैवल्य (468
ई. पू. में) प्राप्त हुआ था।
उदायिन या उदायिभद्र(461 ई.पू. से 445 ई.पू.)-
अजातशत्रु के बाद 461 ई. पू. मगध का राजा बना। बौद्ध ग्रन्थानुसार इसे पितृहन्ता लेकिन जैन ग्रन्थानुसार पितृभक्त कहा गया है। इसकी माता का नाम पद्मावती था। उदायिन या उदायिभद्र हर्यक वंशी अजातशत्रु का पुत्र था। उसने अपने पिता अजातशत्रु की हत्या करके राजसिंहासन प्राप्त किया था। कथाकोश में उसे कुणिक (अजातशत्रु) और पद्मावती का पुत्र बताया गया है। परिशिष्टपर्वन और त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित जैसे कुछ अन्य जैन ग्रंथों में यह कहा गया है कि अपने पिता के समय में उदायिभद्र चंपा का राज्यपाल (गवर्नर) रह चुका था और अपने पिता की मृत्यु पर उसे सहज शोक हुआ था। तदुपरांत सामंतों और मंत्रियों ने उससे मगध की राजगद्दी पर बैठने का आग्रह किया और उसे स्वीकार कर वह चंपा छोड़कर मगध की राजधानी गया।
उदायिनी ने पाटलिग्राम को पाटलिपुत्र नाम देकर अपनी नवीन राजधानी बनाई जो उसके समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। पाटलिपुत्र के निर्माण व स्थापना का श्रेय उदायिनी को है।
- परिशिष्टपर्वन, गार्गी संहिता तथा 'वायुपुराण' के अनुसार उदायिन ने गंगा एवं सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नाम की राजधानी स्थापित की थी।
- उदायिन ने सोन नदी के तट पर स्थित पाटलिपुत्र से कुछ मील दूर गंगा के किनारे 'कुसुमपुर' नामक नगर की स्थापना की थी। बाद में कुसुमपुर बृहत्तर पाटलिपुत्र का भाग बन गया।
- उदायिन शासक बनने से पहले चम्पा का उपराजा था। वह पिता की तरह ही वीर और विस्तारवादी नीति का पालक था।
- इसने पाटलिपुत्र (गंगा और सोन के संगम) को बसाया तथा अपनी राजधानी राजगृह से पाटलिपुत्र स्थापित की।
- मगध के प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति के गुप्तचर द्वारा उदायिन की हत्या कर दी गई।
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अनिरुद्ध अथवा 'अनुरुद्ध' - हर्यक वंश के शासक उदायिन का पुत्र था। बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार उदायिन के तीन पुत्र थे- 'अनिरुद्ध', 'मंडक' और 'नागदशक'।
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नागदशक-
बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार उदायिन के तीन पुत्र अनिरुद्ध, मंडक और नागदशक थे। उद के पुत्रो ने राज्य किया। अन्तिम राजा नागदशक था। जो अत्यन्त विलासी और निर्बल था। शासनतन्त्र में शिथिलता के कारण व्यापक असन्तोष जनता में फैला। राज्य विद्रोह कर उनका सेनापति शिशुनाग राजा बना। इस प्रकार हर्यक वंश का अन्त और शिशुनाग वंश की स्थापना 412 ई.पू. में हुई।Most Important Questions
1. हर्यक वंश का वास्तविक संस्थापक किसे माना जाता है ?
- बिम्बिसार
2. मगध की गद्दी पर बिम्बिसार कब आसीन हुआ ?
- 544 ई०
3. बिम्बिसार मगध पर कितने वर्षों तक शासन किया ?
- 52 वर्षों तक
4. बिम्बिसार की राजधानी कहाँ थी ?
- राजगृह
5. बिम्बिसार के अन्य नाम कौन-कौन थे ?
- श्रोणिक और क्षेत्रौजस
6. अंग राज्य के शासक को किसने हराया ?
- बिम्बिसार ने
7. अजातशत्रु किसका पुत्र था ?
- बिम्बिसार का
8. बिम्बिसार ने अंग राज्य का शासक किसे बनाया था ?
- अजातशत्रु को
9. बिम्बिसार किस धर्म का अनुयायी था ?
- बौद्ध धर्म
10. बिम्बिसार ने महात्मा बुद्ध की सेवा में किसे भेजा था ?
- राजवैध जीवक को
11. बिम्बिसार की हत्या किसने की ?
- अजातशत्रु ने
12. अजातशत्रु मगध की गद्दी पर कब बैठा ?
- 493 ई०पू०
13. अजातशत्रु का उपनाम क्या था ?
- कुणिक
14. अजातशत्रु ने मगध पर कितने वर्षो तक शासन किया ?
- 32 वर्षों तक
15. अजातशत्रु के मंत्री का क्या नाम था ?
- वर्षकार
16. इतिहास में वर्षकार की प्रसिद्धि किसके नाम से जाना जाता है ?
- भारत के मैक्यावेली
17. इतिहास में ‘पितृहन्ता’ (पिता का हत्यारा) के नाम से किस शासक को जाना जाता है ?
- आजातशत्रु
18. प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किसके शासन काल में हुआ था ?
- आजतशत्रु
19. आजातशत्रु ने किस नये हथियार कस सर्वप्रथम प्रयोग किया था ?
- रथ मूसल और महाशिला कंटक
20. आजत शत्रु का पुत्र का क्या नाम था ?
- उदायिन्
21. अजताशत्रु की हत्या किसने की थी ?
- उदायिन्
22. अजातशत्रु की हत्या कब हुई थी ?
- 461 ई०पू०
23. उदायिन् ने मगध की गद्दी पर कितने वर्षो तक शासन किया ?
- 33
24. उदायिन् किस धर्म का अनुयायी था ?
- जैनधर्म का
25. पाटलिग्राम की स्थापना किसने की ?
- उदायिन्
26. उदायिन् ने अपना राजधानी कहाँ बनाया ?
- पटना
27. हर्यक वंश का अंतिम राजा कौन हुआ ?
- नागदशक
28. नागदशक किसका पुत्र था ?
- उदायिन्
29. उदायिन् के बाद मगध की गद्दी पर कौन बैठा ?
- शिशुनाग
- नागदशक या दर्शक
31 किस वंश को पितृहन्ता वंश भी कहा जाता था?
- हर्यक वंश
32 उदयिन ने पाटलिपुत्र की स्थापना किस नदी पर की थी?
– गंगा व सोन नदियों के संगम पर
33 अजातशत्रु ने किस तोप का निर्माण करवाया?
– महाकिला कटक
34 उदयन और वासवदत्ता की प्रेम का वर्णन किस पुस्तक में मिलता है ?
– स्वप्रवासदत्ता/कथा सरित्सागर/व्रहत्कथामंजरी
37 अजातशत्रु ने वैज्य राज्य पर आंतरिक कलह द्वारा कितने समय में विजय प्राप्त की ?
- 16 वर्ष
38 क्षत्रिय वंशज होने के आधार पर बुद्ध के अस्थि- अवशेषों मे हिस्सेदारी का दावा किया ?
– अजातशत्रु
39 पाटलिग्राम जो परवर्ती काल मे पाटलिपुत्र बना , का प्रारम्भ में दुगीर्करण करवाया ?
– अजातशत्रु
40 हैहय राजवंश की राजधानी कहाँ थी?
- माहिष्मती
41 किस शासक को बौद्ध एवं जैन दोनों ही उसे अपने-अपने मत का अनुयायी मानते है ?
– अजातशत्रु
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